चंडीगढ़। बीजेपी सरकार में लगातार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों की अनदेखी और बेअदबी हो रही है। खिलाड़ियों के लिए बनाई गई हुड्डा सरकार की ‘पदक लाओ, पद पाओ नीति’ को बीजेपी ने ‘भेदभाव नीति’ बनाकर रख दिया है। ये कहना है कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का।
Hooda government’s ‘Bring Medal-Get-Post Policy’made BJP’s discrimination policy : Deepender Singh Hooda
सांसद दीपेंद्र ने मौजूदा सरकार के खिलाफ खिलाड़ियों में बढ़ते रोष का संज्ञान लेते हुए खिलाड़ियों के हक में आवाज उठाई है।
उनका कहना है कि हुड्डा सरकार के दौरान खेल नीति के तहत 700 से ज्यादा खिलाड़ियों को उच्च पद दिए गए थे। हजारों खिलाड़ियों को नकद व दूसरे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था, लेकिन बीजेपी सरकार में महज इक्का-दुक्का खिलाड़ियों को ही पद मिला है। उसमें भी यह नहीं बताया गया कि नियुक्ति का क्राइटेरिया क्या रखा गया है।
उन्होंने कहा कि हैरानी की बात ये है कि बीजेपी सरकार की इस अघोषित खेल नीति में देश का सबसे बड़ा सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न हासिल करने वाले पहलवान बजरंग पुनिया को भी जगह नहीं दी गई।
उन्होंने कहा कि बजरंग पुनिया कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड, एशियाई खेलों, एशियन चौंपियनशिप और कॉमनवेल्थ चौंपियनशिप में गोल्ड समेत कई अंतर्राष्ट्रीय मेडल जीत चुके हैं। फिर भी इस सरकार ने अपनी नयी अघोषित खेल नीति में उन्हें कोई पद हासिल करने के लायक नहीं समझा।
सांसद दीपेंद्र ने कहा कि देश को ओलंपिक्स में मेडल दिलवाने वाली पहलवान साक्षी मलिक को उचित पद से वंचित रखा जाना भी समझ से परे है। जब साक्षी मेडल लेकर आईं थी, तो सरकार ने उनकी मां के प्रमोशन से लेकर उन्हें बड़ा पद देने के कई वादे किए थे। बाद में वो सारे वादे धरे के धरे रह गए।
उन्होंने कहा कि जकार्ता एशियन गेम्स के गोल्ड मेडल विजेता मंजीत चहल जैसे उम्दा खिलाड़ी के पास भी आज नौकरी नहीं है।
उन्होंने कहा कि मीडिया ने भी उजागर किया है कि कॉमनवेल्थ गेम्स, वर्ल्ड बॉक्सिंग चेंपियनशिप और एशियन बॉक्सिंग चेंपियनशिप में पदक जीतने वाले अर्जुन अवॉर्डी दुनिया के नंबर वन बॉक्सर अमित पंघाल को भी सरकार ने अबतक पद नहीं दिया है।
उन्होंने कहा कि भाला फेंकने में कई रिकॉर्ड स्थापित करने और कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा को भी मौजूदा सरकार ने अबतक नजरअंदाज किया है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में मेडल विजेता विनेश फोगाट भी उचित सम्मान से वंचित हैं। इतना ही नहीं कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नाम रौशन कर चुके पैरा एथलीट अमित सरोहा और एकता भ्याण जैसे खिलाड़ियों की भी इस सरकार में अनदेखी हुई है।
उन्होंने कहा कि इनके अलावा ऐसे कितने ही खिलाड़ी हैं, जिन्हें अपना पद और सम्मान हासिल करने के लिए कोर्ट में लड़ाई लड़नी पड़ रही है। पूरी दुनिया में प्रदेश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों के प्रति सरकार का ऐसा रवैया हैरान और परेशान करने वाला है।
दीपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि उच्च पदों पर ही नहीं, बल्कि ग्रुप-डी की भर्तियों में भी बीजेपी सरकार खिलाड़ियों के साथ भेदभाव कर रही है। पिछले दिनों हुई ग्रुप-डी की भर्ती में भी नयी और पुरानी ग्रेडेशन का अड़ंगा लगाकर 1518 खिलाड़ियों को नौकरी से निकाला जा रहा है। ये खिलाड़ी हाईकोर्ट की सिंगल बेंच से केस भी जीत चुके हैं, लेकिन यह शायद इतिहास में पहली बार हुआ है कि कोर्ट में केस हारने के बाद सरकार खुद के लगाए कर्मचारियों को नौकरी से हटाने के लिए खुद डबल बेंच में जा रही है।
राज्यसभा सांसद ने कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के दौरान हरियाणा की छवि प्रतिभाओं, खेलों और खिलाड़ियों का सम्मान करने वाले प्रदेश के तौर पर उभरी थी, लेकिन मौजूदा सरकार ने उस छवि को पूरी तरह धूमिल कर दिया है। बीजेपी सरकार ने हुड्डा सरकार में खेलों को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई नीतियों में बढ़ोत्तरी करने की बजाए हमेशा उनमें कटौती की है। हुड्डा सरकार में शुरू की गई स्पैट प्रतियोगिता को बीजेपी सरकार ने बंद कर दिया। खिलाड़ियों के डाईट भत्तों को महज कागजों और घोषणाओं में समेट दिया गया। पदक विजेता खिलाड़ियों की ईनाम राशि में कटौती की गई। कई साल तक खिलाड़ियों के सम्मान समारोह और ईनाम राशि रोकी गई। हुड्डा सरकार में गांवों के स्तर पर बने खेल स्टेडियम्स की अनदेखी की गई। ना उनका रखरखाव किया गया और ना ही उनमें कोच आदि नियुक्त किए गए।